वफ़ा में मेरी कसर कोई रह गयी क्या है ,
जब भी पूछा,तो वो बोला,तुम्हें जल्दी क्या है |
लूट कर मुझको वो कज्जाख अब ये कहता है,
और हो जायेगा फिर, आपको कमी क्या है |
ये कत्लगाह, सलीबें, ये सलासिल, ये कफस,
अब न पूछूँगा मैं, अंजाम-ए-आशिकी क्या है |
नागहाँ चाँद ढल गया मगर फिर उसके बाद ,
देर तक छाई रही उसकी चांदनी क्या है |
न पूँछ हाल, ये है गर्क-ए-मुहब्बत, इसको-
खबर नहीं की ख़ुदी क्या है बेख़ुदी क्या है |
आँख से उसकी जो देखा तो ये जाना हमने,
इक तमाशे के सिवा और ज़िन्दगी क्या है |
अश्क में डूबे हैं अशआर "मिसिर" के लेकिन,
दाद मिलने पे ये चेहरे की ताजगी क्या है |
जब भी पूछा,तो वो बोला,तुम्हें जल्दी क्या है |
लूट कर मुझको वो कज्जाख अब ये कहता है,
और हो जायेगा फिर, आपको कमी क्या है |
ये कत्लगाह, सलीबें, ये सलासिल, ये कफस,
अब न पूछूँगा मैं, अंजाम-ए-आशिकी क्या है |
नागहाँ चाँद ढल गया मगर फिर उसके बाद ,
देर तक छाई रही उसकी चांदनी क्या है |
न पूँछ हाल, ये है गर्क-ए-मुहब्बत, इसको-
खबर नहीं की ख़ुदी क्या है बेख़ुदी क्या है |
आँख से उसकी जो देखा तो ये जाना हमने,
इक तमाशे के सिवा और ज़िन्दगी क्या है |
अश्क में डूबे हैं अशआर "मिसिर" के लेकिन,
दाद मिलने पे ये चेहरे की ताजगी क्या है |