तीन पत्ती
LATEST:
विजेट आपके ब्लॉग पर
गुरुवार, 2 दिसंबर 2010
ज़रूरतें
हर दिन ज़रूरतें,
मेरी गर्दन पर एक जुआ रख देती हैं !
हर दिन मैं एक कोल्हू खींचता हूँ
और कोल्हू मुझे !
सारा दिन -
ऊब के साथ एक ही वृत्त में घूमते रहना
सरसों के साथ मेरा भी तेल निकाल लेता है !
और शाम
एक खाली बोरी घर वापस लौटती है ,
जिसके मुंह का एक कोना अब भी खुला है !
है न अजीब !
नई पोस्ट
पुराने पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
संदेश (Atom)