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बुधवार, 22 जून 2011

तेरी मेहरबानी हो गई .........


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हैफ ! हकगोई शहर की सरगिरानी हो गई ,
मिट गया वो जिस पे तेरी मेहरबानी हो गई !

मर गया वह भूख से कल रात के ढाई बजे ,
चाय-चर्चा के लिए ताज़ी कहानी हो गई !

उसने बच्चों को पिलाकर ज़हर खुद भी पी लिया ,
खुद की दुश्मन एक बेवा की जवानी हो गई !

उसकी अस्मत लुट गई लेकिन खुदा का शुक्र है ,
उसी कोठी में 'मिसिर' वह नौकरानी हो गई !

चार आँखों का जो दावा कर रही थी पार्टी ,
बन गई सरकार जब उसकी तो कानी हो गई !

3 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खुब। यर्थात को शब्दों में बखुबी ढाला है आपने। आभार।

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  2. चार आँखों का जो दावा कर रही थी पार्टी ,
    बन गई सरकार जब उसकी तो कानी हो गई !
    यह हुई ना बात जबरदस्त ज्यादा तारीफ़ करना अच्छा नहीं है

    जवाब देंहटाएं

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