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सोमवार, 5 मार्च 2012

दो कवितायेँ !!


१.
घर कितना बड़ा हो जाता है ,
बर्तन कितने ज्यादा 
और कपडे सुखाने की रस्सी
कितनी लम्बी ,

जब तुम नहीं  होती हो !
...........................................
२.
हर कोई एक वक़्त में खरीदार है 
तो दूसरे में दूकानदार ,
वो एक जगह बिकता है 
तो दूसरी जगह खरीदता है !
उसके दोनों कन्धों पर झोले हैं 
एक बिकाऊ सामान से भरा 
और दूसरा खरीद की चीज़ों के लिए खाली !

इंतज़ाम ही ऐसा है ......................
.
कि एक जितना खाली होता है 
दूसरा उतना भरता नहीं !
जब कम भरता है 
आदमी गरीब हो जाता है 
और ज्यादा तो अमीर !

ये कीमतें कौन तय करता है 
कम से कम तुम तो नहीं  -'गरीब आदमी ' !

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