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सोमवार, 23 जनवरी 2012

विद्ध्वंस की दया पर ?

तुम्हारी भुजाओं की पेशियों से
कहीं मजबूत हैं
मेरी कोख की पेशियाँ ,
बस इन्हें
तोड़ना और मिटाना भर नहीं आता
भुजाओं की तरह ,
क्या महज इस कारण से कि-
इसकी योग्यता सिर्फ सिरजना है
कोख को भुजाओं के आधीन
रहना होगा
सहना होगा शासन ?
यूँ कब तक रहेगा आश्रित
निर्माण विद्ध्वंस की दया पर ?

रविवार, 22 जनवरी 2012

पढ़ते-पढ़ते: अरुंधती राय : मुकेश अम्बानी पूंजीवाद के सबसे बड़े ...

पढ़ते-पढ़ते: अरुंधती राय : मुकेश अम्बानी पूंजीवाद के सबसे बड़े ...: मुम्बई के सेंट जेवियर्स कालेज में अरुंधती राय ने कल अनुराधा गांधी स्मृति व्याख्यान दिया. समाचार पत्रों की कतरनों को संकलित करके उनकी ख़ास-ख़...

रविवार, 15 जनवरी 2012

voyager: ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई – प्रो. हॉकिंग

voyager: ब्रह्मांड की उत्पत्ति कैसे हुई – प्रो. हॉकिंग: हम अपने पाठकों के लिए एक और विचारोत्तेजक सामग्री लेकर आए हैं। इस बार प्रस्तुत है, प्रो. स्टीफन हॉकिंग के मशहूर व्याख्यान ‘ ओरिजिन आफ यूनिवर्...