छोटे छोटे धागों के टुकड़े ,
उलझ भी जाएँ तो -
एक एक खींच लो या
जमीन पर पटक दो,
खुल के बिखर जायेंगे !
लम्बे लम्बे धागे यदि
आपस में उलझ जाएँ -
सुलझाना मुश्किल है !
उलझे इस ज़माने की
लम्बी-लम्बी बातें भी
बहुत बहुत उलझी हैं,
जितना भी सुलझाओ
और उलझ जातीं हैं !
थक-हार हम
इस उलझन से झुंझलाकर,
तोड़ तोड़ धागों को
अलग कर डालते हैं ,
और यह समझते हैं-
विश्लेषण कर लिया ,
बात सब समझ ली !
लेकिन इस बीच
यह जाते हैं भूल कि -
कौन- सा टुकड़ा किस धागे से तोड़ा था
कौन- सी बात किस बात का हिस्सा है !
अब नयी उलझन कि -
किन- किन हिस्सों को आपस में जोड़ दें ,
कहीं फिर झुंझलाकर और भी न तोड़ दें ,
या कि इन्हें घबराकर ऊबें और छोड़ दें !
लेकिन हमने धीरज से काम लिया-
कौन जान पायेगा ?
किसी को किसी में जैसे-तैसे जोड़ दिया,
रील एक बना ली ,
अब मैं बुद्धिमान, प्रतिभा का धनीहूँ,
ए! ज़रा सुनों तनिक,
दुनियाँ को समझोगे ?
देखो, मैं दार्शनिक !
मेरे जैसे जाने कितने
और भी हैं रील वाले,
रोशन चराग हैं रुपहली कंदील वाले ,
उनके अपने फंडे हैं ,
उनके अपने झण्डे हैं ,
विरोधियों के वास्ते-
छुपे आस्तीनों में
मूठ लगे डंडे हैं ,
आपस में जिनके
लगी बड़ी होड़ है ,
और मैं ये सोंचता हूँ ,
ज़िंदगी !!
क्या तेरा नाम बस
है यही जोड़-तोड़ ?
उलझ भी जाएँ तो -
एक एक खींच लो या
जमीन पर पटक दो,
खुल के बिखर जायेंगे !
लम्बे लम्बे धागे यदि
आपस में उलझ जाएँ -
सुलझाना मुश्किल है !
उलझे इस ज़माने की
लम्बी-लम्बी बातें भी
बहुत बहुत उलझी हैं,
जितना भी सुलझाओ
और उलझ जातीं हैं !
थक-हार हम
इस उलझन से झुंझलाकर,
तोड़ तोड़ धागों को
अलग कर डालते हैं ,
और यह समझते हैं-
विश्लेषण कर लिया ,
बात सब समझ ली !
लेकिन इस बीच
यह जाते हैं भूल कि -
कौन- सा टुकड़ा किस धागे से तोड़ा था
कौन- सी बात किस बात का हिस्सा है !
अब नयी उलझन कि -
किन- किन हिस्सों को आपस में जोड़ दें ,
कहीं फिर झुंझलाकर और भी न तोड़ दें ,
या कि इन्हें घबराकर ऊबें और छोड़ दें !
लेकिन हमने धीरज से काम लिया-
कौन जान पायेगा ?
किसी को किसी में जैसे-तैसे जोड़ दिया,
रील एक बना ली ,
अब मैं बुद्धिमान, प्रतिभा का धनीहूँ,
ए! ज़रा सुनों तनिक,
दुनियाँ को समझोगे ?
देखो, मैं दार्शनिक !
मेरे जैसे जाने कितने
और भी हैं रील वाले,
रोशन चराग हैं रुपहली कंदील वाले ,
उनके अपने फंडे हैं ,
उनके अपने झण्डे हैं ,
विरोधियों के वास्ते-
छुपे आस्तीनों में
मूठ लगे डंडे हैं ,
आपस में जिनके
लगी बड़ी होड़ है ,
और मैं ये सोंचता हूँ ,
ज़िंदगी !!
क्या तेरा नाम बस
है यही जोड़-तोड़ ?