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रविवार, 26 फ़रवरी 2012

चुनावों का मौसम ,



क्यूँ आता है फिर-फिर चुनावों का मौसम ,
दिखावों का मौसम,छलावों का मौसम !

बढ़ेगी गिरानी तो उनकी बला से ,
कसेगा हमें फिर अभावों का मौसम !

नदी नाव में बैठकर सोंचती है ,

कब आएगा फिर से बहावों का मौसम !

बरसना नहीं है फ़क़त है नुमाइश ,
तकल्लुफ भरा धूप-छावों का मौसम !
जो इन पुतलियों को नचाता है ,उसके--
लिए उँगलियों के घुमावों का मौसम !

बहार-ए-गुल-ए-सुर्ख छायेगी एक दिन ,
ये कहता है दिल के अलावों का मौसम !

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