अब जो लाये हो तो ये चाँद -
कहाँ रक्खूँगी ?
भर चुका दिल का ये संदूक ,
गम-ए-फुरक़त से !
यूं भी छोटा - सा है ,
थोड़े में ही भर जाता है !
फिर जो लाते तो तब लाते इसे
जब चाहा था !
तब ये छोटा-सा था
संदूक में जगह भी थी !
अब जो लाये हो तो
कितना बड़ा कर लाये हो !
चहरे की सलवटें ज़रा देखो !!
जैसे हर तह में कोई -हवस छुपा रक्खी हो ??
वैसे भी मांगे मिली चीज़
मरी होती है!
और मेरे गम अभी जिंदा हैं ,
जवाँ गुल की तरह !
फैलनें लग गयी है
जिनकी महक बस्ती में ,
हाँ !! ये तुम तक भी गयी होगी
तभी आये हो!
और दिखावे की लगावट -
का चाँद लाये हो !
जाओ ले जाओ -
अब कोई जगह खाली नहीं !
भर चूका दिल का ये संदूक -
गमें-फुरक़त से!!
वाह अति सुन्दर ………………बधाई
जवाब देंहटाएंओह ………॥गज़ब कर दिया………………बेहतरीन भाव भरे हैं।
जवाब देंहटाएंकृष्ण प्रेम मयी राधा
राधा प्रेममयो हरी
♫ फ़लक पे झूम रही साँवली घटायें हैं
रंग मेरे गोविन्द का चुरा लाई हैं
रश्मियाँ श्याम के कुण्डल से जब निकलती हैं
गोया आकाश मे बिजलियाँ चमकती हैं
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाये
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जवाब देंहटाएंवैसे भी मांगे मिली चीज़
जवाब देंहटाएंमरी होती है!
badhiyaa ...