Saturday, October 6, 2012
इतनी कड़ी रोटी थी
कि निवाला तोड़ने में
मेरे नाखून टूट गए
और चबाने में दांत ,
जुबान तो इतना डर गई
कि जोड़ दिए हाँथ और
करने लगी प्रार्थना ,
दिमाग ने कर लिया समझौता
और अब वह लालटेन की लौ को
नीची रखने पर राजी है ,
लकड़ियों ने भी मान लिया है कि
तेज़ आँच में रोटी कड़ी हो जाती है
और अब से उन्हें
रोटी सिर्फ धुएँ में सेंकनी होगी !
कि निवाला तोड़ने में
मेरे नाखून टूट गए
और चबाने में दांत ,
जुबान तो इतना डर गई
कि जोड़ दिए हाँथ और
करने लगी प्रार्थना ,
दिमाग ने कर लिया समझौता
और अब वह लालटेन की लौ को
नीची रखने पर राजी है ,
लकड़ियों ने भी मान लिया है कि
तेज़ आँच में रोटी कड़ी हो जाती है
और अब से उन्हें
रोटी सिर्फ धुएँ में सेंकनी होगी !
behad khoobsoorat ..
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