तीन पत्ती
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सोमवार, 25 जुलाई 2011
मेघ-टोली
.
समंदर के गीत गाते
गुजर जाती मेघ-टोली
और फिर एक बार बहने को
कसमसा उठता है मरुथल ,
जागती है याद लहरों की !
एक चिंता की उभरती टेकड़ी
उठ बैठती
और हवा को रोक कर कहती -
" बादलों को ला सकोगी तुम ,
कर सकोगी
एक सुहागन नदी फिर मुझको !"
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