रोशनी की यह गली बहुत तंग है ,
हम यहाँ से होकर जो जायेंगे -
अंधेरों में सन जायेंगे !
हमने अपनी तड़प से कई बार पूछा -
कि तू क्यों उन अंधेरी ,गुमनाम गलियों की ,
रोज़ जीती और मरती कथा कहती आ रही है,
क्यों मुझे चैन से जीने नहीं देती,
क्यों सता रही है ,
यह रोशनी,यह रौनक ,यह रंग -
तुझे क्यों नहीं भाता ,
क्यों तुझे भी राजपथ पर चलना नहीं आता,
मगर कोई जवाब नहीं आया -
सिवा इसके कि भीतर
कुछ तड़का, कुछ टूटा ,
कुछ धसक गया !!
कुछ आवाज़ों के शब्द नहीं ,सिर्फ अर्थ होते हैं !!
हम यहाँ से होकर जो जायेंगे -
अंधेरों में सन जायेंगे !
हमने अपनी तड़प से कई बार पूछा -
कि तू क्यों उन अंधेरी ,गुमनाम गलियों की ,
रोज़ जीती और मरती कथा कहती आ रही है,
क्यों मुझे चैन से जीने नहीं देती,
क्यों सता रही है ,
यह रोशनी,यह रौनक ,यह रंग -
तुझे क्यों नहीं भाता ,
क्यों तुझे भी राजपथ पर चलना नहीं आता,
मगर कोई जवाब नहीं आया -
सिवा इसके कि भीतर
कुछ तड़का, कुछ टूटा ,
कुछ धसक गया !!
कुछ आवाज़ों के शब्द नहीं ,सिर्फ अर्थ होते हैं !!