तुम्हारी भुजाओं की पेशियों से
कहीं मजबूत हैं
मेरी कोख की पेशियाँ ,
बस इन्हें
तोड़ना और मिटाना भर नहीं आता
भुजाओं की तरह ,
क्या महज इस कारण से कि-
इसकी योग्यता सिर्फ सिरजना है
कोख को भुजाओं के आधीन
रहना होगा
सहना होगा शासन ?
यूँ कब तक रहेगा आश्रित
निर्माण विद्ध्वंस की दया पर ?
कहीं मजबूत हैं
मेरी कोख की पेशियाँ ,
बस इन्हें
तोड़ना और मिटाना भर नहीं आता
भुजाओं की तरह ,
क्या महज इस कारण से कि-
इसकी योग्यता सिर्फ सिरजना है
कोख को भुजाओं के आधीन
रहना होगा
सहना होगा शासन ?
यूँ कब तक रहेगा आश्रित
निर्माण विद्ध्वंस की दया पर ?
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