ये परिन्दे कतार मेँ बैठे
तीर के इन्तजार मेँ बैठे।
आशियाने हथेलियोँ पे लिए
बर्क की रहगुजार मेँ बैठे।
एक जब गिर गया थपेडोँ मेँ
डर के हम तीन - चार मेँ बैठे।
खूब तुमने मियाँ तरक्की की
घर से निकले बाजार मेँ बैठे।
हैँ बहुत इज्तिराब क्यूँ कोई
इस दिले-बेकरार मेँ बैठे।
तीर के इन्तजार मेँ बैठे।
आशियाने हथेलियोँ पे लिए
बर्क की रहगुजार मेँ बैठे।
एक जब गिर गया थपेडोँ मेँ
डर के हम तीन - चार मेँ बैठे।
खूब तुमने मियाँ तरक्की की
घर से निकले बाजार मेँ बैठे।
हैँ बहुत इज्तिराब क्यूँ कोई
इस दिले-बेकरार मेँ बैठे।