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मंगलवार, 10 जुलाई 2012



Monday, June 25, 2012
मैं उतना ही नहीं हूँ 
जितना आपके सामने बैठा हूँ 
वह भी हूँ 
जो आपके सामने बैठेगा 
कल,परसों,और आगे के दिनों में |


अगर मेरी नाव
अभी भी पानी में है 
रेत पर नहीं ,
तो यकीन मानिए 
बीज  के भीतर मौजूद है 
एक पेड़ ,
पेड़ के भीतर 
जड़ें हैं ,शाखाएँ हैं,पत्ते हैं, 
पत्तों के भीतर पंछी हैं, 
पंछियों के भीतर 
घोंसले हैं 
और घोंसलों में उनके 
अंडे हैं ,बच्चे हैं |

अकारण ही नहीं फूल जाते हैं पेट 
और सिर्फ हवा ही नहीं भरी होती है उनमे 
कुछ है जो कल बाहर आएगा 
और तुम्हें हैरान कर देगा, 
क्या हैरान होने के लिए 
तुम्हारी कोई तैयारी है ?
क्या तुम इस तैयारी की 
कोई ज़रूरत महसूस करते हो?

कुछ लोग ज़रूरत 
तभी महसूस करते हैं 
जब वह उन्हें
कुचल कर आगे निकल जाती है 
लेकिन 
तुम मुझे ऐसे तो नहीं लगते !!

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