LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

मंगलवार, 10 जुलाई 2012

तीन कवितायें




  • Wednesday, June 20, 2012
    ठीक है
    कि जरूरी थी खून की जांच 
    घुस आए रोगाणुओं की पहचान 
    ताकि समय रहते उपचार हो सके !


    लेकिन क्या यह भी जरूरी था 
    कि खून का नमूना 
    सुई की जगह खंजर घोंप कर लिया जाए ?


    अब वह
    तुम्हारी जांच रपट सुनेगा 
    या 
    घाव सिलवाने किसी दर्जी के पास भागेगा ?


    एक सुई के लिए 
    एक घाव को 
    खंजर के खिलाफ कर देना 
    मुश्किल नहीं होता !!

  • Wednesday, June 20, 2012
    उम्मीद 
    यही नाम बताया था 
    उस नाज़ुक-सी लड़की ने |


    बुरी तरह रीझे मन ने कहा --
    " तुम बहुत सुंदर हो "


    सुनते ही अचानक 
    उसका रूप बदलने लगा 
    एक पल में उसकी जगह 
    एक हट्टा-कट्टा आदमी खड़ा था 
    साँवला चेहरा , उड़े-उड़े से बाल
    कमीज के दो बटन खोले 
    इतमीनान से सिगरेट पीता हुआ 
    मेरे तरफ हाथ बढ़ाकर बोला-
    "मुझे विश्वास कहते हैं |"


  • Saturday, June 16, 2012
    शिला के नीचे दबे-दबे छटपटाते हुए 
    कोसते रहते हैं हम 
    या
    रेत का रोना रोते हैं 
    कि  हाथों मे ठहरती ही नहीं ,
    क्या हम 
    शिला को पीस कर 
    रेत मिला कर 
    नदी और समुद्र के  
    एक-एक चुल्लू पानी में गूँथ कर
    एक गीली मिट्टी नहीं बना सकते हैं,
    जिस पर फूल उगाये जा सकें ?


     जिंदगी एक उद्यम है  साथी !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी मूल्यवान प्रतिक्रिया का स्वागत है