रविवार, 9 सितंबर 2012
YOUNG AZAMGARH: समाजवाद क्यों ? - एल्बर्ट आइंस्टीन
YOUNG AZAMGARH: समाजवाद क्यों ? - एल्बर्ट आइंस्टीन: समाजवाद क्यों ? - एल्बर्ट आइंस्टीन, 1949 क्या ये उचित है कि जो आर्थिक और सामजिक मुद्दों का विशेषज्ञ नहीं है, समाजवाद के विषय पर विचा...
मंगलवार, 10 जुलाई 2012
बाज़ार
Monday, July 2, 2012
बादल हैं या
हवा के जाल फँसी
ह्वेल मछलियाँ हैं ,
घसीटता मछुआरा
ले जाता खैंच
पश्चिमी बाज़ार
अरे ! क्या इनको भी
डालेगा बेंच ??
हवा के जाल फँसी
ह्वेल मछलियाँ हैं ,
घसीटता मछुआरा
ले जाता खैंच
पश्चिमी बाज़ार
अरे ! क्या इनको भी
डालेगा बेंच ??
सुबूत
ऐसे भागा
जैसे गलत पते पर बरस गया हो ,
अपने उस भाई से
जो सूरज ढके हुए था
हटने को बोल गया
ताकि बरसा हुआ पानी
जल्दी सूख जाए
और इस तरह उसने
अपनी गलती का
कोई सुबूत नहीं छोड़ा !
लाल चुन्नी जाग !!
Sunday
इस बार भी आएगा
वो भेड़िया
अपने कृपा-हास में दाँत ,
वरद-हस्त में नाखून
और
मधुर शब्दों में
मसूढ़ों की लालिमा छिपाए
नन्ही लाल चुन्नी की नानी बनकर
और शायद इस बार
एन मौके पर
कोई लकड़हारा
उधर से न गुजरे !
वो भेड़िया
अपने कृपा-हास में दाँत ,
वरद-हस्त में नाखून
और
मधुर शब्दों में
मसूढ़ों की लालिमा छिपाए
नन्ही लाल चुन्नी की नानी बनकर
और शायद इस बार
एन मौके पर
कोई लकड़हारा
उधर से न गुजरे !
Monday, June 25, 2012
मैं उतना ही नहीं हूँ
जितना आपके सामने बैठा हूँ
वह भी हूँ
जो आपके सामने बैठेगा
कल,परसों,और आगे के दिनों में |
अगर मेरी नाव
अभी भी पानी में है
रेत पर नहीं ,
तो यकीन मानिए
बीज के भीतर मौजूद है
एक पेड़ ,
पेड़ के भीतर
जड़ें हैं ,शाखाएँ हैं,पत्ते हैं,
पत्तों के भीतर पंछी हैं,
पंछियों के भीतर
घोंसले हैं
और घोंसलों में उनके
अंडे हैं ,बच्चे हैं |
जितना आपके सामने बैठा हूँ
वह भी हूँ
जो आपके सामने बैठेगा
कल,परसों,और आगे के दिनों में |
अगर मेरी नाव
अभी भी पानी में है
रेत पर नहीं ,
तो यकीन मानिए
बीज के भीतर मौजूद है
एक पेड़ ,
पेड़ के भीतर
जड़ें हैं ,शाखाएँ हैं,पत्ते हैं,
पत्तों के भीतर पंछी हैं,
पंछियों के भीतर
घोंसले हैं
और घोंसलों में उनके
अंडे हैं ,बच्चे हैं |
तीन कवितायें
-
Wednesday, June 20, 2012ठीक है
कि जरूरी थी खून की जांच
घुस आए रोगाणुओं की पहचान
ताकि समय रहते उपचार हो सके !
लेकिन क्या यह भी जरूरी था
कि खून का नमूना
सुई की जगह खंजर घोंप कर लिया जाए ?
अब वह
तुम्हारी जांच रपट सुनेगा
या
घाव सिलवाने किसी दर्जी के पास भागेगा ?
एक सुई के लिए
एक घाव को
खंजर के खिलाफ कर देना
मुश्किल नहीं होता !! -
Wednesday, June 20, 2012उम्मीद
यही नाम बताया था
उस नाज़ुक-सी लड़की ने |
बुरी तरह रीझे मन ने कहा --
" तुम बहुत सुंदर हो "
सुनते ही अचानक
उसका रूप बदलने लगा
एक पल में उसकी जगह
एक हट्टा-कट्टा आदमी खड़ा था
साँवला चेहरा , उड़े-उड़े से बाल
कमीज के दो बटन खोले
इतमीनान से सिगरेट पीता हुआ
मेरे तरफ हाथ बढ़ाकर बोला-
"मुझे विश्वास कहते हैं |"
-
Saturday, June 16, 2012शिला के नीचे दबे-दबे छटपटाते हुए
कोसते रहते हैं हम
या
रेत का रोना रोते हैं
कि हाथों मे ठहरती ही नहीं ,
क्या हम
शिला को पीस कर
रेत मिला कर
नदी और समुद्र के
एक-एक चुल्लू पानी में गूँथ कर
एक गीली मिट्टी नहीं बना सकते हैं,
जिस पर फूल उगाये जा सकें ?
जिंदगी एक उद्यम है साथी !!
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