वो जो लपलपाती जीभ जैसे पत्तों वाला पेड़ है
जिसके नीचे पाँच साल तक ठहरती है छाया ,
वहाँ कुछ टेढ़ी-मेढ़ी रेखायें लेटी थीं मज़े में
... कुछ गोल-मटोल बिन्दुओं के साथ ,
मिलकर एक शक्ल -सी बनाती हुई
आँखों की जगह घास के पैबंद
चुइंगम चबाता मुँह
होंठों की हिकारत भरी मुस्कान
हिलाता रहता है लगातार !
धूप आ गयी तो उठ कर चले गए सब
दूसरे पेड़ की छाया में
तनिक बदली हुई है शक्ल अब
होंठों पर हिकारत भरी मुस्कान
और भी लम्बी हो गयी है !
चुनाव संपन्न हुए !
जिसके नीचे पाँच साल तक ठहरती है छाया ,
वहाँ कुछ टेढ़ी-मेढ़ी रेखायें लेटी थीं मज़े में
... कुछ गोल-मटोल बिन्दुओं के साथ ,
मिलकर एक शक्ल -सी बनाती हुई
आँखों की जगह घास के पैबंद
चुइंगम चबाता मुँह
होंठों की हिकारत भरी मुस्कान
हिलाता रहता है लगातार !
धूप आ गयी तो उठ कर चले गए सब
दूसरे पेड़ की छाया में
तनिक बदली हुई है शक्ल अब
होंठों पर हिकारत भरी मुस्कान
और भी लम्बी हो गयी है !
चुनाव संपन्न हुए !
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