जाते हुए उसको
बड़ी हसरत से देख रहा था
कि पकड़ गया !!
झट
मैंने अपनी जेब से
जो कमीज़ में कहीं नहीं थी
एक कागज़ निकाला
जो जेब में था ही नहीं
और उसमें बड़े गौर से
वह पढ़ता रहा
जो उसमें नहीं लिखा था ,
जब तक वह चली नहीं गई !
बड़ी हसरत से देख रहा था
कि पकड़ गया !!
झट
मैंने अपनी जेब से
जो कमीज़ में कहीं नहीं थी
एक कागज़ निकाला
जो जेब में था ही नहीं
और उसमें बड़े गौर से
वह पढ़ता रहा
जो उसमें नहीं लिखा था ,
जब तक वह चली नहीं गई !
दिल को छू गयी ये पंक्तियाँ! बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! बधाई!
जवाब देंहटाएंशब्द नहीं है इस कविता के लिए...
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