धरती पर बरसती है धूप
और पानी आकाश पर !
एक -दूसरे को भिगोते हुए
दोनों ही खुश हैं !
एक ही प्यार
ढंग अपने-अपने !
लथपथ निचुड़ते खड़े हैं
संध्या पर दोनों
सूखने !!
और पानी आकाश पर !
एक -दूसरे को भिगोते हुए
दोनों ही खुश हैं !
एक ही प्यार
ढंग अपने-अपने !
लथपथ निचुड़ते खड़े हैं
संध्या पर दोनों
सूखने !!
वाह
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