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शनिवार, 5 मई 2012

लट्टू

और तेज़ करो रक्स 
जब तक नाचता हुआ लट्टू 
ठहरा हुआ न लगने लगे ,
एक उचटती हुई निगाह उस पर 
डालकर बाहर निकल जाओ 
कुछ देर 
अपनी पहचान के साथ बहो 
जो एक नदी की तरह है 
उद्गम की ओर बहती !

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