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सोमवार, 21 जनवरी 2013

वे नदियाँ


१.
मैं खोल देना चाहता हूँ 
नदियों के तटबन्ध 
ताकि वे बहक जाएँ  
और किसी दिन किसी दरार के रास्ते 
मेरे घर में सरक  आयें 
झूठ मूठ मेरे न न करने पर भी
मुझे भिगो दे ,नहला दें और ठंडा कर दें
और वापस चली जाएँ
नाली के रास्ते | 
२.
वे मेरी आँखें नहीं धो पातीं 
मेरे नहा चुकने के बाद 
वे नदियाँ 
मुझे नाली लगती हैं !

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