१.
मैं खोल देना चाहता हूँ
नदियों के तटबन्ध
ताकि वे बहक जाएँ
और किसी दिन किसी दरार के रास्ते
मेरे घर में सरक आयें
झूठ मूठ मेरे न न करने पर भी
मुझे भिगो दे ,नहला दें और ठंडा कर दें
और वापस चली जाएँ
नाली के रास्ते |
२.
वे मेरी आँखें नहीं धो पातीं
मेरे नहा चुकने के बाद
वे नदियाँ
मुझे नाली लगती हैं !
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