पलीता
पटाखे से पहले जल जाता है
वह नहीं जान पाता --
कितनी आवाज़ हुई,
कितना धुआँ उठा,
कितनी चिंगारियाँ उड़ी ,
और कितनी रोशनी हुई ,
वह धमाके के बाद के जश्न में
शामिल नहीं होता ,
मध्यवर्गीय पलीता
दिल में रखता है
एक शौक़-ए -नज्जारा !!
वह तय करता है --
कि अबसे पटाखे को
बाहर से समर्थन देगा !
bahut sahi bat kahi aapne ....
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